Fact check: पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान किया जा रहा हिंदी का विरोध? झूठ फैलाने की साजिश

डेस्क न्यूज. किसानों के आंदोलन को देखते हुए कुछ तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। उनके तस्वीरों के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि पंजाब में किसान आंदोलन में हिंद को लेकर लोगों में गुस्सा और हिंदी भाषा को निशाना बना रहे हैं।


सोशल मीडिया पर यूजर इन तस्वीरों को साझा कर कैप्शन में लिख रहे हैं

हाइवे पर लगे साइन बोर्डों पर, लोगों को पंजाबी के अलावा अन्य भाषाओं में लिखी गई जानकारी को काले रंग से मिटाते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर यूजर इन तस्वीरों को साझा कर कैप्शन में लिख रहे हैं, "जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, तथाकथित किसान आंदोलन का असली चेहरा भी सबके सामने आ रहा है। टॉवर तोड़ने के बाद, हिंदी अब पंजाब में नहीं चलेगी।" बता दें कि कुछ दिनों पहले पंजाब से खबरें आई थीं कि किसान आंदोलन के दौरान वहां मोबाइल टावर क्षतिग्रस्त किए जा रहे थे।

पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत 

इन फोटो का किसान आंदोलन से कोई संबध नहीं हैं, जब हमने इसकी पडताल की तो पता चला की यह फोटो 2017 की हैं। जब पंजाब में सिखों को यह आंदोलन चल रहा था, तो उस दौरान हाइवे पर लगे साइन बोर्डों पर, लोगों को पंजाबी के अलावा अन्य भाषाओं में लिखी गई जानकारी को काले रंग से मिटाते हुए देखा जा सकता था। यह जानकारी "INDIA TV" की 25 अक्टूबर 2017 की खबर से मिली हैं।

तस्वीरें फरीदकोट-बठिंडा हाईवे की

और यह तस्वीरें फरीदकोट-बठिंडा हाईवे की हैं। यहां पर कुछ सिख संगठनों के द्वारा पंजाबी भाषा के महत्व की मांग को लेकर विरोध किया था और साइन बोर्ड पर अंग्रेजी और हिंदी में लिखे नामों को काला कर दिया था। 

Comments